
रांची बना रक्षा नवाचार का केंद्र
झारखंड की राजधानी रांची इन दिनों एक ऐतिहासिक आयोजन की गवाह बनी है। खेलगांव स्थित टाना भगत इंडोर स्टेडियम में पहली बार ईस्ट टेक 2025 रक्षा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। भारतीय सेना के पूर्वी कमान और सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (SIDM) के सहयोग से हो रहे इस आयोजन ने झारखंड को देश के रक्षा उत्पादन नक्शे पर प्रमुख स्थान दिलाया है।
आयोजन का उद्देश्य
इस प्रदर्शनी का मुख्य मकसद है –
- आत्मनिर्भर भारत और रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
- भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमता को सामने लाना।
- सेना की ज़रूरतों और देश में निर्मित तकनीक के बीच की दूरी को कम करना।
- पूर्वी भारत और झारखंड को रक्षा उत्पादन का उभरता हुआ केंद्र बनाना।
प्रदर्शनी में क्या है खास
ईस्ट टेक 2025 में अत्याधुनिक सैन्य उपकरण और तकनीक प्रदर्शित की जा रही हैं। इनमें शामिल हैं –
- टैक्टिकल कम्युनिकेशन सिस्टम
- युद्धक्षेत्र गतिशीलता समाधान (Battlefield mobility)
- रक्षा और बचाव उपकरण
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीक
- ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम
- रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियाँ
- उन्नत हथियार और फायर पावर प्लेटफॉर्म
इस प्रदर्शनी में पहली बार निजी और सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा इस्तेमाल में आ रहे रक्षा उपकरण भी लोगों के सामने रखे गए हैं।
भागीदारी और उपस्थिति
300 से अधिक प्रतिनिधि और 250 वरिष्ठ सैन्य अधिकारी प्रदर्शनी का हिस्सा बने हैं।
175 से अधिक रक्षा कंपनियाँ अपनी तकनीक लेकर पहुँची हैं।
200 से ज्यादा प्रदर्शक यहाँ शामिल हुए हैं।
उद्घाटन और प्रमुख हस्तियाँ
इस भव्य आयोजन का उद्घाटन झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान विशेष रूप से मौजूद रहे।
झारखंड को लाभ
ईस्ट टेक 2025 झारखंड के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
झारखंड को रक्षा उत्पादन का नया हब बनाने की दिशा में यह बड़ा कदम है।
राज्य में छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को सेना की सप्लाई चेन से जुड़ने का मौका मिलेगा।
निवेश, तकनीकी नवाचार और रोज़गार के नए अवसर खुलेंगे।
चुनौतियाँ
हालाँकि यह अवसर जितना बड़ा है, उतनी ही चुनौतियाँ भी हैं –
- MSMEs को सशस्त्र बलों की ज़रूरतों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने होंगे।
- परीक्षण, प्रमाणन और खरीद प्रक्रियाएँ समय लेने वाली हैं।
- आपूर्ति श्रृंखला और निवेश की चुनौतियाँ भी सामने हैं।
आगे की राह
ईस्ट टेक 2025 से साफ है कि भारतीय सेना और सरकार रक्षा आत्मनिर्भरता को लेकर गंभीर हैं। पूर्वी भारत, विशेषकर झारखंड, आने वाले समय में रक्षा उत्पादन और तकनीकी नवाचार का नया केंद्र बन सकता है।
निष्कर्ष
ईस्ट टेक 2025 केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता का प्रतीक है। यह आयोजन सेना, उद्योग और राज्य सरकार के बीच सहयोग का नया अध्याय खोलता है। झारखंड के लिए यह सुनहरा मौका है कि वह रक्षा उत्पादन और तकनीक के क्षेत्र में देश की मजबूती का हिस्सा बने।





