बीजेपी के विधायक राज्यपाल से मिलकर विधानसभा पहुंचे
रांची। झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र सत्र के छठा और अंतिम दिन है। स्पीकर ने हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी है। भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने प्रश्नकाल से जुड़ा अपना प्रश्न यह कह कर पूछने से इंकार कर दिया कि जो मामले सदन की कार्यवाही के पहले दिन से भाजपा उठा रही है, उसपर सदन में गौर नहीं किया जा रहा है। इसलिए प्रश्नकाल का बहिष्कार किया जा रहा। 11.30 बजे स्पीकर ने विपक्ष के हो हल्ला के बीच सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यपाल से मिलने के बाद विपक्ष के विधायक राजभवन से सीधे विधानसभा पहुंचे। इसके बाद सदन में प्रवेश करते ही हंगामा करने लगे। 11.20 में विपक्ष नियोजन नीति क्या हुआ के नारे लगाते हुए वेल में पहुंच गए। प्रतियोगी परीक्षा बिल का काला कानून वापस करने की मांग करते रहे।
दीपिका पांडेय ने कहा- बीजेपी के लोग हेडक्वार्टर गए हैं
शुक्रवार को 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सूचना के तहत कहा स्पीकर महोदय आप देख रहे हैं कि एक तरफ का मैदान पूरा खाली है। क्योंकि बीजेपी के लोग अपने हेडक्वार्टर गए हुए हैं, यानि राज्यपाल से मिलने गए है। उन्होंने आरोप लगाया कि गुरुवार को प्रतियोगी परीक्षा से जुड़े विधेयक सदन में पास हुआ है, लेकिन उसका विरोध जताने के लिए भाजपा के विधायक राज्यपाल से मिलने गए हुए हैं। सूचना के तहत प्रदीप यादव ने भी इसपर सवाल खड़े किए। वहीं, मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने प्रश्वकाल के दौरान कहा कि अब तो नेता प्रतिपक्ष का बैरियर भी खत्म हो गया है। लेकिन अभी तक भाजपा के लोग अपना नेता नहीं चुन पा रहे हैं। 11.20 में विपक्ष के नेता सदन पहुंच गए व हंगामा शुरू कर दिए हैं।
राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
बता दें कि झारखंड प्रतियोगी परीक्षा 2023 विधेयक को लेकर विपक्ष लगातार विरोध दर्ज करा रहा है। शुक्रवार को बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा का एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन सौंपा। राज्यपाल से मिलकर इस विधेयक को पास ना करने की गुजारिश की गई। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह काला कानून है, इसे सदन के अंदर व बाहर विरोध किया जा रहा है। 2023 इस विधेयक को सरकार पारित न करें। इस काले कानून को पास होने नहीं दिया जाएगा। भाजपा का मानना है कि इस विधेयक में ऐसी कई खामियां है जो एक इंसान के अधिकारों का हनन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अवहेलना करते हुए बिना जांच के सीधी गिरफ्तारी और परीक्षा में कदाचार के बाद उठने वाले सवालों को लेकर परीक्षार्थियों पर एफआई आर दर्ज होना शामिल है। बाबूलाल मरांडी का कहना है कि विधेयक में कई ऐसे शर्ते हैं, जिस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए और कई शर्तों को विलोपित करने की आवश्यकता है। सरकार संख्या बल के अहंकार में युवाओं, बेरोजगारों की आवाज बंद करना चाहती है। वहीं, भाजपा के विधायकों का मानना है कि सरकार आगे आने वाली नियुक्तियां को बंदरबांट करना चाहती है।
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