‘चंद्र मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ की कड़ी का अगला मिशन है
रांची। आज अंतरिक्ष में भारत एक आैर मुकाम हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाने वाला है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) की तय योजना के मुताबिक चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का लॉन्च दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से होग। इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ और इसके बड़े अधिकारी चंद्रयान की लॉन्चिंग की तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं। बुधवार को उन्होंने अंतरिक्ष केंद्र के पास चंगलम्मन देवी मंदिर में लॉन्च से पहले प्रार्थना की। इस हाई-प्रोफाइल चंद्रयान लॉन्च मिशन की उलटी गिनती गुरुवार को दोपहर 1 बजे शुरू हुई। गुरुवार दोपहर को सोमनाथ और अंतरिक्ष केंद्र के अधिकारियों ने मंदिर में प्रसाद चढ़ाया और प्रार्थना की। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग इसरो के मजबूत और बड़े रॉकेट LVM3 के जरिये होगी। आइए जानते है इसमें झारखंड का क्या कनेक्शन है। झारखंड के खूंटी जिला के तोरपा के कपकरा गांव के रहने वाले वैज्ञानिक सोहन यादव इस चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग ऑर्बिटर इंटीग्रेशन व टेस्टिंग टीम के हिस्सा में है। वहीं, धुर्वा स्थित एचईसी में चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का पैड व सैटेलाइट बना है। इससे पहले भी एचईसी लॉन्चिंग पैड बना चुकै है। एस. सोमनाथ की अध्यक्षता में इसरो का मकसद उन विशिष्ट देशों की सूची में शामिल होना है, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में महारत हासिल कर ली है। शुक्रवार को रवाना होने वाला ‘चंद्र मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ की कड़ी का अगला मिशन है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराना है। वर्ष 2008 में पहले चंद्र मिशन के साथ शुरू हुई चंद्रयान श्रृंखला के बारे में एक अनोखी समानता उसका तमिलनाडु से संबंध है। तमिलनाडु में जन्मे मयिलसामी अन्नादुरई और एम. वनिता के क्रमश: चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 का नेतृत्व करने के बाद अब विल्लुपुरम के मूल निवासी पी. वीरमुथुवेल तीसरे मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं।
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