‘रसूखदार’ मुख्तार अंसारी | दादा स्वतंत्रता सेनानी | चाचा रहे उपराष्ट्रपति
– मुख्तार की मौत के बाद पूरे यूपी में अलर्ट
– आज शाम तक मुख्तार को सुपर्दे खाक कर दी जाएगी
– जुमे को लेकर सुरक्षा के खास इंतजाम
– जेल में बंद अब्बास को पिता के आखिरी रस्म के लिए लाया जाएगा
रांची। पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की बांदा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत (28.3.2024 ) हो गई। बांदा जेल में बंद मुख्तार को दिल का दौरा पड़ने के बाद बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। मेडिकल बुलेटिन के अनुसार मुख्तार की मौत दिल का दौरा पड़े से हुआ। मुख्तार के मौत के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में धारा-144 लगा दिया गया है। वहीं, मुख्तार की मौत की सूचना मिलने के बाद उसका परिवार निकल चुका है। रात में परिवार के सामने ही वीडियोग्राफी कराकर पोस्टमार्टम कराया जाएगाा। उसके बाद शव को गाजीपुर ले जाया जाएगा। जेल में बंद अब्बास अंसारी को पिता के आखिरी रस्म के लिए लाया जाएगा। परिवार अब्बास के परोल के लिए शुक्रवार की सुबह हाईकोर्ट में अर्जी देगा। शुक्रवार शाम तक मुख्तार अंसारी को सुपर्दे खाक कर दिया जाएगा। पूरे यूपी में सुरक्षा के खास इंतजाम जुमे को लेकर किया गया है।
मेरे पिता ने बड़े अब्बा से जहर वाली बात बताई थी
गुरुवार देर रात (लगभग 1.40) मुख्तार अंसारी का बेटा उमर अंसारी बांदा मेडिकल कॉलेज पहुंचा। मीडिया से बात करते हुए उमर ने कहा कि पिता ने जहर वाली बात बताई थी। यहां पर सबकुछ साफ-साफ दिख रहा है। बड़े भाई अब्बास के लिए परोल मांगेंगे। बड़े अब्बा (अफजाल) की हमारे पिता से मुलाकात हुई थी, उन्होंने जहर वाली बात बताई थी। पिछली बार मुझे मेरे पिता से मिलने नहीं दिया गया था।
करीब 18 साल से जेल में बंद रहे
मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था। पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है। करीब 18 साल से जेल में बंद मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ आजादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई। वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। मुख्तार के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे थे। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा लगते है।
सुबहानउल्लाह अंसारी नामी वामपंथी नेता थे
आजादी के बाद जब भारत का बंटवारा हुआ तो डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी के परिवार के कई सदस्य पाकिस्तान चले गए थे। डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी के बेटे सुबहानउल्लाह अंसारी नामी वामपंथी नेता थे। सुब्हानउल्लाह का निकाह बेगम राबिया के साथ हुआ। दोनों से तीन बेटे हुए। सिबकतुल्लाह अंसारी, अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी। सिबकतुल्लाह अंसारी दो बार विधायक रह चुके हैं। 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर और 2017 में कौमी एकता दल के टिकट पर सिबकतुल्लाह ने चुनाव जीता था। सिबकतुल्लाह का एक बेटा है सुहेब उर्फ मन्नु अंसारी। मन्नु अंसारी समाजवादी पार्टी से मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से विधायक है।
भाई अफजाल 5 बार विधायक व 2 बार सांसद
दूसरे भाई अफजाल अंसारी पांच बार विधायक रहे हैं। वहीं, दो बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में लगातार पांच बार सीपीआई के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2004 में सपा के टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। 2019 में दूसरी बार बसपा के टिकट पर पूर्व केंद्रीय रेलमंत्री व जम्मू के राज्यपाल मनोज सिन्हा को हराकर सांसद बने। अब अफजाल अंसारी को चार साल की सजा हुई है। अफजाल की तीन बेटियां हैं।
तीन भाइयों में सबसे छोटा मुख्तार
तीन भाइयों में सबसे छोटा माफिया मुख्तार अंसारी था। प्रदेश ही नही देश के आपराधिक जगत में उसका बड़ा नाम रहा। मुख्तार अंसारी की शुरुआती पढ़ाई युसुफपुर गांव में हुई। इसके बाद उसने गाजीपुर कॉलेज से स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई पूरी की। मुख्तार अंसारी की पत्नी का नाम अफशां अंसारी है। अफशां के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। अफशां पर यूपी पुलिस ने 75 हजार रुपए का इनाम रखा है। वह लंबे समय से फरार चल रही है।
मुख्तार का बेटा भी विधायक
अफशां और मुख्तार के दो बेटे हैं, अब्बास अंसारी और उमर अंसारी। अब्बास अंसारी सपा से मऊ का विधायक है। अब्बास अंसारी निशानेबाजी में तीन बार का राष्ट्रीय चैंपियन है। इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम के साथ खेल चुका है। अब्बास का एक बेटा है। अब्बास की पत्नी का नाम निखत बानो है। अब्बास अभी जेल में बंद है। वहीं, छोटा बेटा उमर अंसारी भी पुलिस के निशाने पर है। उमर पर हेट स्पीच मामले में कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। उमर अभी फरार चल रहा है। लग्जरी गाड़ियों का शौक रखने वाला उमर अपने पिता के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटा हुआ था।
1980 रखा अपराध की दुनिया में कदम
मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में साल 1980 के दशक में कदम रखा। सबसे पहली बार उसका नाम मखनु सिंह गिरोह के साथ जोड़ा गया। 1990 के दशक में मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर जिलों में हुए अपराधों में मुख्तार अंसारी का नाम जुड़ता चला गया। माफिया ब्रिजेश सिंह से दुश्मनी जगजाहिर रही। कोयला खनन, रेलवे निर्माण और अन्य क्षेत्रों में ठेकेदारों से पैसे वसूलने में भी अंसारी का नाम सामने आया। अपनी कुख्याति छवि के बावजूद मुख्तार अंसारी ने राजनीति में कदम रखा। पांच बार मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा सदस्य रहे।
8 मामलों में सुनाई गई थी सजा
मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज किए गए 65 मामलों में से 21 मुकदमें की सुनवाई विभिन्न अदालतों में विचाराधीन है। मुख्तार अंसारी को आठ मामलों में कोर्ट से सजा सुनाई जा चुकी थी। जिसकी सजा वह जेल में रहकर काट रहा था।
2023 में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई
21.09.2022 को एक मामले में लखनऊ में मुख्तार को सात साल की सजा और 37 हजार जुर्माना लगाया गया था। 23.09.2022 को एक अन्य मामले में लखनऊ की कोर्ट ने 5 साल सजा और 50 हजार जुर्माना लगाया था। 15.12.2022 को गाजीपुर में 10 साल की सजा और 5 लाख जुर्माना लगाया गया था। 29.04.2023 को गाजीपुर की कोर्ट ने 10 साल की सजा और 5 लाख जुर्माना लगाया था। 05.06.2023 को वाराणसी कोर्ट ने आजीवन कारावास और एक लाख जुर्माना की सजा सुनाई थी। 27.10.2023 को गाजीपुर की कोर्ट ने 10 साल की जेल और 50 हजार जुर्माना की सजा सुनाई थी। 15.12.2023 को वाराणसी कोर्ट ने 5 साल 6 महीने जेल की सजा और 10 हजार जुर्माना लगाया था। 13.03.2024 को वाराणसी कोर्ट ने फर्जी हथियार लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास और दो लाख जुर्माना की सजा सुनाई थी।