लोकसभा में तूफान : ओवैसी ने वक्फ बिल फाड़कर किया विरोध | अमित शाह से भिड़े


, ओवैसी ने बिल फाड़कर किया विरोध
रांची। लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चल रही चर्चा के दौरान एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर मुस्लिम समुदाय को “दूसरे दर्जे का नागरिक” बनाने का आरोप लगाते हुए विधेयक की प्रति फाड़कर विरोध दर्ज किया। उन्होंने कहा कि यह बिल “मुसलमानों को जलील करने और हिंदू-मुस्लिम विवाद बढ़ाने” के लिए लाया गया है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ये अनुच्छेद 25, 26 का उल्लंघन है। यह बिल मुस्लिमों के साथ अन्याय है।
ओवैसी के प्रमुख तर्क
- संपत्ति हड़पने का आरोप: ओवैसी ने मुंबई में एक “दौलतमंद” द्वारा यतीमखाने की जमीन 22 करोड़ में खरीदे जाने और सच्चर समिति (2007) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में वक्फ की 123 संपत्तियों का बाजार मूल्य 6,000 करोड़ है, लेकिन सरकार इन्हें मानने को तैयार नहीं।
- इतिहास को याद दिलाया: उन्होंने 1996 में इंदिरा गांधी के वक्फ संपत्ति हस्तांतरण के पत्र और 2013 में बिना विरोध पारित वक्फ कानून का जिक्र करते हुए कहा कि अब सरकार ट्रिब्यूनल्स के माध्यम से वक्फ को कमजोर कर रही है।
- धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन: ओवैसी ने दावा किया कि “वक्फ अल औलाद” प्रावधान अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, जो धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। उन्होंने कहा, “जब मैं अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम करता हूं, तो सरकार को दिक्कत क्यों?”
- कानूनी ढील पर सवाल: गृह मंत्री अमित शाह के “संपत्ति अतिक्रमण” के बयान का जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा कि संपत्ति बेचने की सजा 2 साल से घटाकर 6 महीने करना और “नॉन-बेलियल” अपराध को “बेलियल” बनाना गलत है।
दक्षिण अफ्रीका जैसा भेदभाव
ओवैसी ने इस बिल की तुलना महात्मा गांधी द्वारा फाड़े गए दक्षिण अफ्रीका के नस्लीय कानूनों से करते हुए कहा, “यह बिल मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की साजिश है।” इसके बाद उन्होंने विधेयक की प्रति फाड़ दी और आरोप लगाया कि सरकार “बेकार लोगों को वक्फ से बचने के लिए ट्रस्ट बनाने का रास्ता दिखा रही है।”
अमित शाह का पलटवार
गृह मंत्री ने वक्फ संपत्तियों पर “अवैध कब्जों” को लेकर चिंता जताई और कहा कि यह संशोधन पारदर्शिता लाने के लिए है। हालांकि, ओवैसी ने इसे “मुस्लिम विरोधी एजेंडा” बताया।
आगे की कार्रवाई
संविधान संशोधन विधेयक पर आज ही वोटिंग होने की संभावना है। इस मुद्दे पर सदन में दोपहर से जारी चर्चा में कई दलों ने अपने विचार रखे हैं, जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच तीखा टकराव देखने को मिल रहा है।
ध्यान आकर्षित करने वाले अंश
- “फाड़ा बिल”, “अनुच्छेद 25 का हनन”, “दूसरे दर्जे का नागरिक” जैसे शब्द समाचार की गंभीरता और विवाद को उजागर करते हैं।
- “सच्चर रिपोर्ट”, “इंदिरा गांधी का पत्र”, “दक्षिण अफ्रीका” जैसे संदर्भ ऐतिहासिक और तथ्यात्मक पक्ष को सामने लाते हैं।
- “अमित शाह से भिड़े”, “सरकार vs विपक्ष” जैसे वाक्य टकराव और राजनीतिक ड्रामे को हाइलाइट करते हैं।