

रांची। झारखंड सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव एल. खियांग्ते को झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है, जिससे छह महीने से खाली पद को भरने की कवायद पूरी हो गई। राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने गुरुवार को इस नियुक्ति को मंजूरी देते हुए राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और गति की उम्मीद जताई है। जेपीएससी अध्यक्ष का पद 22 अगस्त 2024 को डॉ. मेरी निलिमा केरकेट्टा के सेवानिवृत्त होने के बाद से खाली था। राज्यपाल ने कहा कि खियांग्ते का नेतृत्व परीक्षाओं को समयसीमा के अनुसार संचालित करने, आयोग की कार्यप्रणाली में दक्षता लाने और भर्ती में निष्पक्षता सुनिश्चित करने में मददगार होगा, जो युवाओं का लंबे समय से प्रमुख मांग रही है।
अनुभवी नेतृत्व को जिम्मेवारी
झारखंड कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी खियांग्ते तीन दशक से अधिक का प्रशासनिक अनुभव लेकर आए हैं। मिजोरम में 26 अक्टूबर 1964 को जन्मे खियांग्ते 6 दिसंबर 2023 से 31 अक्टूबर 2024 तक झारखंड के 24वें मुख्य सचिव रहे। वे 25 अक्टूबर 2026 तक जेपीएससी अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे, क्योंकि आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति 62 वर्ष की आयु सीमा तक होती है। उनके करियर में आदिवासी कल्याण आयुक्त, पंचायती राज सचिव और प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (एटीआई) के महानिदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने पांच साल तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी काम किया है।
खाली पद ने बढ़ाई मुश्किलें, आंदोलनों का दौर
अध्यक्ष पद की लंबी खालीपन ने भर्तियों में देरी की, जिससे छात्र संगठनों और नौकरी चाहने वालों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। सरकार के पुतले जलाने, धरना-प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर डिजिटल अभियान चलाए गए। आलोचकों ने युवाओं के रोजगार को लेकर सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाए। वर्तमान में जेपीएससी में प्रो. अजिता भट्टाचार्या, प्रो. अनिमा हांसदा और डॉ. जमाल अहमद तीन सदस्य हैं, लेकिन अध्यक्ष की अनुपस्थिति में निर्णय प्रक्रिया प्रभावित हुई, जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं में व्यवधान पैदा हुआ।
युवाओं को नई उम्मीद
आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले और इतिहास स्नातक खियांग्ते की नियुक्ति से युवाओं को समय पर और भ्रष्टाचार-मुक्त परीक्षाओं की उम्मीद जगी है। आदिवासी कल्याण और प्रशासनिक सुधारों में उनके अनुभव को आयोग के लिए अहम माना जा रहा है। अधिकारियों को उम्मीद है कि उनका कार्यकाल जेपीएससी में विश्वास बहाल करेगा, जो राज्य के सिविल सेवकों की भर्ती और रोजगार चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य जब भर्ती तंत्र को नई गति देने की तैयारी में है, तो सभी हितधारक अब नए अध्यक्ष के नेतृत्व में ठोस परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।