Ahmedabad Plane Crash: अधूरे शव लौटने पर पीड़ितों के परिजनों का गुस्सा| दो सिर एक बॉडी बैग में मिलने से मचा बवाल


Ahmedabad Plane Crash: एक हादसा जो सवालों के घेरे में
8 जून 2025 की सुबह, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 अहमदाबाद से लंदन रवाना हुई थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह यात्रा एक भयावह त्रासदी में बदल जाएगी। टेकऑफ़ के कुछ ही मिनटों बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें दर्जनों लोगों की जान चली गई। यह हादसा न सिर्फ तकनीकी जांच का विषय बना, बल्कि अब यह मानवीय संवेदनाओं और शवों की गरिमा से भी जुड़ चुका है।
परिजनों का आरोप: हमें पूरा शव चाहिए, टुकड़े नहीं
इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिवारों को जब उनके प्रियजनों के शव लौटाए गए, तो एक पीड़ादायक दृश्य सामने आया। एक शव बैग से दो सिर मिलने की खबर ने हर किसी को झकझोर दिया। इससे ना सिर्फ पहचान की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई, बल्कि परिजनों का दुःख और भी गहरा गया। परिजनों ने स्पष्ट रूप से कहा है:
“हमें अधूरे शरीर नहीं, पूरा शव चाहिए ताकि हम अंतिम संस्कार सही तरीके से कर सकें।”
यहमांग सिर्फ एक धार्मिक या सांस्कृतिक अनुष्ठान की बात नहीं है, यह एक मानवीय अधिकार है — मृतकों के सम्मान का अधिकार।

DNA परीक्षण और देरी: इंसान नहीं, आंकड़े बनते जा रहे हैं शव
BJ मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद के पोस्टमार्टम विभाग में शवों की पहचान के लिए DNA परीक्षण किए जा रहे हैं। अब तक की जानकारी के अनुसार:
- कुल 32 शवों की पहचान हो चुकी है।
- 12 शव परिजनों को सौंपे गए, जिनमें से 8 की पहचान बिना DNA के संभव हुई।
- कई मामलों में अधूरे अंग मिले हैं, जिससे परीक्षण में और समय लग रहा है।
बॉडी बैग में अलग-अलग व्यक्तियों के अवशेष पाए जाने के मामले न सिर्फ दुखद हैं, बल्कि यह व्यवस्था की विफलता को भी उजागर करते हैं।
धार्मिक मान्यताओं की अवहेलना
भारत जैसे देश में, जहां अंतिम संस्कार की विधियां धार्मिक परंपराओं से जुड़ी होती हैं, वहां शवों की पूर्णता अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। अधूरे शव मिलने से न केवल परिजन आहत हैं, बल्कि धार्मिक क्रियाओं में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई — हर धर्म में शव की पूर्णता को अंतिम संस्कार की गरिमा का हिस्सा माना गया है।
Ahmedabad Plane Crash : तकनीकी लापरवाही या दुर्घटनावश? जांच जारी है
यह हादसा एयर इंडिया की Dreamliner Boeing 787-8 का पहला बड़ा क्रैश है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार:
- विमान में तकनीकी खराबी की संभावना जताई गई।
- भारतीय, ब्रिटिश और अमेरिकी एजेंसियां संयुक्त रूप से क्रैश जांच कर रही हैं।
- ब्लैक बॉक्स की जानकारी सामने आने में समय लग रहा है।
हालांकि यह जांच का विषय है कि दुर्घटना कैसे हुई, लेकिन जो प्रश्न अब उठ रहे हैं, वे मानवीय पहलुओं से जुड़े हैं — क्या ऐसे हादसों के बाद शवों की गरिमा का ख्याल रखा जा रहा है?

मानवाधिकार विशेषज्ञों की राय
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे मामलों में सरकार और अस्पतालों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे:
- शवों की सही पहचान सुनिश्चित करें।
- परिजनों को पूरी जानकारी दें।
- मानव गरिमा बनाए रखें, चाहे मृतक कोई भी हो।
यदि एक ही बॉडी बैग में दो सिर पाए जाते हैं, तो यह न केवल पहचान की प्रक्रिया को बाधित करता है, बल्कि यह असंवेदनशीलता का भी संकेत है।
प्रशासनिक जवाबदेही और मांगें
परिजन मांग कर रहे हैं कि:
- शवों को सही ढंग से एकत्र और लेबल किया जाए।
- पूरी जानकारी और रिपोर्ट उन्हें दी जाए।
- प्रशासन सार्वजनिक रूप से सफाई दे कि कैसे यह गलती हुई।
कई परिवारों ने प्रशासनिक अधिकारियों से शब्दों में नहीं, कार्यों में जवाब मांगा है।
हादसा ही नहीं, व्यवस्था भी सवालों के घेरे में
अहमदाबाद विमान हादसा सिर्फ एक तकनीकी त्रासदी नहीं है, यह एक संवेदनशील मानवीय मुद्दा भी बन चुका है। मृतकों के शवों की स्थिति, परिजनों की व्यथा और व्यवस्था की लापरवाही ने इस त्रासदी को और भी गहरा बना दिया है।
जब एक मां अपने बेटे के शव को पहचान नहीं पाती, जब एक पत्नी को अपने पति के अवशेष आधे-अधूरे मिलते हैं — तब यह सिर्फ एक हादसा नहीं रह जाता, यह समाज की संवेदनशीलता की कसौटी बन जाता है।