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रांची। हिंदी व बंगाली में अपने सुपरहीट संगीत से लोगों के दिलों पर राज करने वाले संगीत की दुनिया का नायाब नगीना आरडी बर्मन इस धरती पर आज ही नुमूदार हुआ था। आरडी बर्मन यानि पंचम ने संगीत की दुनिया में एक नया अध्याय लिखा। संगीत वैज्ञानिक और बॉलीवुड संगीत के बादशाह कहे जाने वाले राहुल देव बर्मन उर्फ आरडी बर्मन का जन्म 27 जून 1939 को हुआ था। उन्हें बचपन से ही संगीत का बहुत बड़ा शौक था और उन्होंने अपने पिता से प्रशिक्षण लिया, जो एक संगीतकार भी थे। उन्होंने अपना कॅरियर 9 साल की उम्र में फिल्म फंटूश (1956) से शुरू किया था, उन्होंने इस फिल्म में पहला गाना भीमहान संगीतकार आज यानि 27 जून 2023 को अपना 83वां जन्मदिन मना रहे होते यदि वह जीवित होते। महान संगीत निर्देशक सचिन देव बर्मन के बेटे आरडी बर्मन को प्यार से पंचम दा कहा जाता था। दम मारो दम से लेकर चुरा लिया है तुमने जो दिल को तक, जैसे संगीत से लोगों को झूमने पर मजबूर करने वाले संगीतकार ने हिंदी फिल्म उद्योग को कई अविस्मरणीय यादें दीं।
ओ मेरे दिल के चैन संगीतकार के सबसे प्रसिद्ध ट्रैक में से एक
पंचम दा ने ‘ओ हसीना जुल्फोंवाली जाने जहां’ व ‘मेरी प्यारी बिंदु’ जैसी कालजयी क्लासिक फिल्में बनाई। पंचमदा ने हर मूड व अवसर के लिए गाने बनाने के लिए गुलजार, आशा भोंसले व किशोर कुमार जैसे कलाकारों के साथ काम किया। तीसरी मंजिल फिल्म का गीत ओ हसीना जुल्फोंवाली जाने जहां बहुत ही लोकप्रिय हुआ। इससे उन्हें एक अलग पहचान मिली। ओ मेरे दिल के चैन संगीतकार के सबसे प्रसिद्ध ट्रैक में से एक है। चंदा ओ चंदा, मेरे जीन साथी, यम्मा-यम्मा, बहारों के सपने, बचके रहना रे बाबा जैसे अनेकों फिल्मों में अपने संगीत से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया था।
भूत बंगला व प्यार का मौसम में अभिनय भी किया
उनके कई गाने मशहूर हुए जैसे कि ‘सर जो तेरा चक्रे’ (प्यासा), ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ (आराधना), और ‘कोरा कागज था ये मन मेरा’ (आराधना) सहित कई सुपरहिट गीतों से वह सिनेमा में मशहूर हो गये। वह हारमोनिका और कई अन्य वाद्ययंत्र बजाना भी जानते थे। उन्होंने फिल्म ‘सोलवा साल’ के गाने ‘है अपना दिल तो आवारा’ के लिए माउथ ऑर्गन बजाया था। अपने कॅरियर के शुरुआती दौर में, उन्होंने भूत बंगला (1965) और प्यार का मौसम (1969) जैसी फिल्मों में भी अभिनय में अपनी किस्मत आजमाई। आरडी बर्मन को उनके उपनाम, पंचम से भी जाना जाता था, और उनके अधिकांश उद्योग मित्रों द्वारा इसी नाम से लोकप्रिय रूप से संबोधित किया जाता था।