
रांची। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, वन विभाग और पलामू टाइगर रिजर्व की संयुक्त कार्रवाई से वन्यजीव तस्करी के कई रहस्य उजागर हो रहे हैं। पता चला है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ से ‘रेड सैंड बोआ’ (दोमुंहा सांप) की लाखों रुपये में अंतरराष्ट्रीय तस्करी हो रही है। इसी कड़ी में, कुछ दिन पहले पलामू के हरिहरगंज इलाके से सांप का 1200 मिलीलीटर जहर भी बरामद किया गया था। इस पूरे मामले में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर, रांची में छापेमारी करके एक ‘रेड सैंड बोआ’ सांप बरामद किया गया और कई अन्य लोगों को भी पकड़ा गया। पता चला है कि इस तस्करी नेटवर्क की मास्टरमाइंड रांची की एक महिला है, जिसके नेटवर्क में एक पुलिस कर्मी और सेना का एक रिटायर्ड जवान भी शामिल है। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और वन विभाग की टीम ने सभी संदिग्धों को अपने निशाने पर ले लिया है।
एक करोड़ रुपये में बेचा जाना था
रेड सैंड बोआ की तस्करी की जानकारी तब मिली जब पलामू टाइगर रिजर्व की टीम ने लातेहार के महुआडांड़ से दो तस्करों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में तस्करों ने बताया कि यह सांप उत्तर प्रदेश से लाया गया था और करीब एक करोड़ रुपये में बेचा जाना था। ‘रेड सैंड बोआ’ को लेकर एक मिथक प्रचलित है कि इसके दोनों ओर मुंह होते हैं और इसे घर में रखने से सौभाग्य आता है। हालांकि, वन्यजीव विशेषज्ञ प्रोफेसर डी.एस. श्रीवास्तव बताते हैं कि ऐसा नहीं है, यह सांप जहरीला भी नहीं होता। यह सांप मुख्यतः रेतीले और शुष्क इलाकों में पाया जाता है। इसकी तस्करी प्रतिबंधित है, फिर भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 25 करोड़ रुपये तक बताई जाती है। इस सांप का इस्तेमाल ‘गुड लक’ के चक्कर के अलावा, उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाइयां बनाने में भी होता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों में
यह तस्करी नेटवर्क नेपाल के रास्ते दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैला हुआ है। स्थानीय स्तर पर सांप पकड़ने वालों को 20-30 हजार रुपये मिलते हैं, जबकि बड़े शहरों और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लाखों से बढ़कर करोड़ों में पहुंच जाती है। यह सांप लगभग 75 सेंटीमीटर लंबा होता है और रात के समय अधिक सक्रिय रहता है। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 से 2023 के बीच देश भर में रेड सैंड बोआ तस्करी से जुड़ी लगभग 177 घटनाएं दर्ज की गई हैं। महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में ऐसे मामले अधिक सामने आए हैं। नेपाल की सीमा से लगे जिलों से होकर यह तस्करी की जाती है, जहां से इन सांपों को नेपाल भेज दिया जाता है।





