About me

News Box Bharat
Welcome to News Box Bharat, your one-stop destination for comprehensive news coverage and insightful analysis. With a commitment to delivering reliable information and promoting responsible journalism, we strive to keep you informed about the latest happenings from across the nation and the world. In this rapidly evolving era, staying updated and making sense of the news is crucial, and we are here to simplify the process for you.

Recent Posts

+91 6205-216-893 info@newsboxbharat.com
Sunday, November 23, 2025
Latest Hindi News

SIR विवाद 2025: बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन पर बवाल, बंगाल में बढ़ी हलचल

बिहार में SIR को लेकर विवाद तेज़
Share the post

बिहार और अब बंगाल में मतदाता सूची के “विशेष गहन संशोधन” (SIR) को लेकर राजनीति गर्म है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं, सड़क पर विरोध, और देशभर में बहस – क्या यह सचमुच वोटर लिस्ट की सफाई है, या लोकतंत्र से कुछ खास तबकों को बाहर करने की साजिश? आइए जानते हैं पूरा मामला…

बिहार में SIR को लेकर विवाद तेज़

SIR पर बिहार में शुरू हुआ बदलाव, उठा विवाद

बिहार में 2003 के बाद पहली बार चुनाव आयोग ने SIR (Special Intensive Revision) लागू किया है। मकसद बताया गया – मृतक, डुप्लिकेट और फर्जी मतदाताओं को हटाना।
लेकिन जब पहले चरण में 5.22 करोड़ फॉर्म जमा हुए और ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को जारी हुई, तो कई लोगों ने आरोप लगाए कि असली वोटरों के नाम ही काट दिए गए।

📌 सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत दखल दिया और कहा – आधार, राशन कार्ड और वोटर ID को मान्य दस्तावेज माना जाए। कोर्ट की कड़ी नजर में अब पूरी प्रक्रिया चल रही है।

🔥 विपक्ष का आरोप: “यह SIR NRC की आड़ है”

AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी और TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने साफ कहा – SIR के ज़रिए दलित, आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं को हटाया जा रहा है।
9 जुलाई को बिहार बंद का ऐलान हुआ था। INDIA गठबंधन ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा – “यह गरीबों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश है।”

📍 बंगाल में भी हलचल शुरू, तृणमूल ने जताई चिंता

बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी SIR लागू होने की तैयारी दिख रही है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने BLO को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है।
हालांकि अंतिम निर्णय चुनाव आयोग के हाथ में है, लेकिन TMC सांसद महुआ मोइत्रा सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी हैं। उन्होंने इसे NRC का छुपा रूप बताया है।

🧾 दस्तावेजों पर विवाद: क्या हटाए जाएंगे लाखों वोटर?

ECI ने शुरुआत में जो दस्तावेज मांगे, उनमें आधार और राशन कार्ड नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद अब इन्हें स्वीकार किया जाएगा।
लेकिन मृतकों के नाम पर फॉर्म जमा, बिना फॉर्म दिए नाम कटने जैसी घटनाएं पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करती हैं।

🔮 मणिपुर और दिल्ली भी लाइन में

News Box Bharat की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर और दिल्ली जैसे राज्यों में भी SIR लागू करने की तैयारी है।
दिल्ली में 2008 के बाद पहली बार यह प्रक्रिया हो सकती है, जबकि मणिपुर में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले तैयारियां चल रही हैं।

सवाल यही है: क्या SIR से लोकतंत्र और साफ होगा?

ECI का कहना है कि यह प्रक्रिया वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाने के लिए है।
लेकिन विपक्ष और जनता का कहना है – “अगर प्रक्रिया पारदर्शी है, तो फिर डर और विरोध क्यों है?”

SIR एक प्रशासनिक प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन इसका समाजशास्त्रीय और राजनीतिक असर गहरा है।
अगर इसमें निष्पक्षता और पारदर्शिता नहीं रही, तो यह लाखों वोटरों के अधिकार छीन सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और जनता की जागरूकता ही इस प्रक्रिया को निष्पक्ष बना सकती है।

Leave a Response