झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव नहीं होने पर नाराजगी जताई | अगली सुनवाई 25 जुलाई को


झारखंड हाई कोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में देरी को संवैधानिक उल्लंघन और अवमानना का मामला माना है। कोर्ट का सख्त रुख और मुख्य सचिव को तलब करने का आदेश दर्शाता है कि सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।
Municipal Elections : झारखंड हाई कोर्ट ने 18 जुलाई 2025 को नगर निकाय चुनाव में देरी को लेकर राज्य सरकार और चुनाव आयोग के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने इसे अवमानना का मामला मानते हुए मुख्य सचिव को तलब किया है। यह मामला पूर्व पार्षद रोशनी खलखो और अन्य द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। जस्टिस आनंद सेन की एकल पीठ ने कहा कि कोर्ट के पूर्व आदेशों (4 जनवरी 2024 को तीन सप्ताह में चुनाव अधिसूचना जारी करने का निर्देश) का पालन नहीं हुआ, जो अवमानना का मामला है। कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के नाम पर चुनाव टालने को गलत ठहराया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की खंडपीठ ने भी स्पष्ट किया है कि ट्रिपल टेस्ट के बिना भी चुनाव संभव है। कोर्ट ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट और वोटर लिस्ट जैसे बहानों से चुनाव नहीं टाले जा सकते। कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने और प्रक्रिया तेज करने का निर्देश दिया है। झारखंड हाई कोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में देरी को संवैधानिक उल्लंघन और अवमानना का मामला माना है। कोर्ट का सख्त रुख और मुख्य सचिव को तलब करने का आदेश दर्शाता है कि सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। अगली सुनवाई (25 जुलाई 2025) में इस मामले में और स्पष्टता की उम्मीद है।
मुख्य सचिव को तलब
कोर्ट ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। हालांकि, 16 जनवरी 2025 की सुनवाई में मुख्य सचिव को उपस्थिति से छूट दी गई थी, लेकिन 18 जुलाई की सुनवाई में फिर से सख्ती दिखाई गई। अगली सुनवाई 25 जुलाई 2025 को निर्धारित है।
राज्य सरकार का जवाब
सरकार ने दलील दी कि ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है, और भारत निर्वाचन आयोग से अपडेटेड वोटर लिस्ट मिलने में देरी हुई। हालांकि, कोर्ट ने इसे टालमटोल का बहाना माना।
वोटर लिस्ट का मुद्दा
भारत निर्वाचन आयोग ने जनवरी 2025 में कोर्ट को सूचित किया था कि 1 अक्टूबर 2024 तक की अपडेटेड वोटर लिस्ट राज्य निर्वाचन आयोग को प्रदान कर दी गई है, जिसके आधार पर चुनाव संभव है।
याचिकाकर्ता की दलील
रोशनी खलखो के अधिवक्ता विनोद सिंह ने कहा कि सरकार जानबूझकर चुनाव टाल रही है, जो संविधान के अनुच्छेद 243 और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश मामले का हवाला दिया, जिसमें ट्रिपल टेस्ट को चुनाव टालने का आधार मानने से इनकार किया गया था। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में नगर निकाय चुनाव में देरी को लेकर बार-बार नाराजगी जताई है और सरकार को जल्द चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। यह मामला रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं से शुरू हुआ, जिसमें चुनाव न कराने को संवैधानिक उल्लंघन बताया गया।
हाई कोर्ट का सख्त रुख
4 जनवरी 2024: झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त होने के बाद भी चुनाव न कराना संवैधानिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था का उल्लंघन है।
13 जनवरी 2025: कोर्ट ने आदेश के अनुपालन न होने पर नाराजगी जताई और इसे अवमानना का मामला करार दिया। मुख्य सचिव को 16 जनवरी को सशरीर पेश होने का निर्देश दिया गया।
16 जनवरी 2025: सुनवाई में सरकार ने बताया कि ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और वोटर लिस्ट मिलने के बाद चार महीने में चुनाव करा लिए जाएंगे। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट के नाम पर चुनाव नहीं रोके जा सकते।
7 फरवरी 2025: कोर्ट ने 12 सप्ताह के भीतर चुनाव की घोषणा करने का आदेश दिया। भारत निर्वाचन आयोग ने बताया कि अपडेटेड वोटर लिस्ट उपलब्ध करा दी गई है, जिसके आधार पर होंगे।
18 जुलाई 2025: ताजा सुनवाई में कोर्ट ने फिर से नाराजगी जताई और मुख्य सचिव को तलब किया। अगली सुनवाई 25 जुलाई को निर्धारित की गई।
चुनाव की स्थिति: झारखंड में 48 नगर निकाय (9 नगर निगम, 21 नगर परिषद, 19 नगर पंचायत) अप्रैल 2023 से जनप्रतिनिधियों के बिना प्रशासकों के हवाले हैं।