

सिल्ली से बचाया गया युवा बाघ अब बिरसा जैविक उद्यान में, स्वास्थ्य जांच के बाद जंगल में होगी वापसी। बिना बेहोश किए घर में फंसे बाघ का कमाल का बचाव।
Tiger : झारखंड के सिल्ली प्रखंड स्थित मारदू गांव में एक बंगाल टाइगर को पुरंदर महतो के घर से सुरक्षित बचा लिया गया। बाघ को बेतला नेशनल पार्क और बिरसा जैविक उद्यान की संयुक्त टीम ने बिना ट्रैंकुलाइज किए (बेहोशी का इंजेक्शन दिए बिना) रेस्क्यू किया। रांची के डीएफओ श्रीकांत ने पुष्टि की कि बाघ सुरक्षित है। 25 जून की सुबह यह बाघ अचानक पुरंदर महतो के घर में घुस गया था। घरवालों ने तुरंत दरवाजा बंद कर वन विभाग को सूचित किया। वन विभाग की टीम सुबह ही मौके पर पहुंच गई थी। शुक्र है कि बाघ ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।
क्या हुआ आगे
- बचाया गया बाघ अब बिरसा जैविक उद्यान पहुंचा दिया गया है।
- वहां उसका स्वास्थ्य परीक्षण होगा ताकि चोटों की जांच की जा सके।
- स्वास्थ्य रिपोर्ट ठीक आने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के परामर्श से उसे उचित वन क्षेत्र में छोड़ने का निर्णय लिया जाएगा।
भीड़ और बारिश ने बढ़ाई चुनौती
घटनास्थल पर मौजूद भारी भीड़ और लगातार बारिश के कारण रेस्क्यू टीम को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भीड़ से बाघ को होने वाली घबराहट से बचाने के लिए उसे प्लास्टिक से ढके केज में रखा गया। चिड़ियाघर ले जाते समय उसे हल्का बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया।
बाघ इलाके में क्यों घुसा
पशु चिकित्सक डॉ. अजय के अनुसार, 14-18 माह की उम्र में बाघों में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे वे अपना इलाका तलाशने निकल पड़ते हैं और कभी-कभी आबादी वाले क्षेत्रों में भटक जाते हैं। इस बाघ की उम्र के आकलन के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि वह गांव में क्यों आया।